दिसंबर माह में छुट्टी आए शहीद नितिन राणा दादी सरस्वती को होल्टा घुमाकर लाए थे, जबकि अगली छुट्टी में भी दादी को घुमाने का वायदा करके गए थे। जयसिंहपुर के रिट गांव में पहुंचे शहीद नितिन राणा के पार्थिव शरीर को देखकर दादी यही कह रही थीं कि मुझे घुमाने का वायदा करके चले गए।
अब मुझे कौन घुमाएगा। बेटे के पार्थिव शरीर को देखकर जहां माता लता देवी बेसुध थीं। पिता सुभाष चंद ने कहा कि अभी नए घर का काम पूरा होते ही अगले साल नितिन के लिए लड़की देखकर उसका विवाह करने की सोच रहे थे।
घर में करीब एक घंटा शहीद का पार्थिव शरीर रहा, लेकिन किसी को भी गांव के जांबाज युवक के अंतिम दर्शन करने का हौसला नहीं हुआ। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने ही शहीद के अंतिम दर्शन किए।
करीब 11:05 मिनट पर शहीद की अंतिम यात्रा शुरू हुई, जो करीब 20 मिनट बाद श्मशानघाट पहुंची। शहीद के छोटे भाई निखिल ने 01:10 मिनट पर शहीद नितिन को मुखाग्नि दी।