संस्कृत हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजभाषा होगी। पहली हिंदी है। वीरवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में हिमाचल प्रदेश राजभाषा (संशोधन) विधेयक – 2019 रखा। इसमें स्पष्ट किया कि संस्कृत कंप्यूटर के लिए भी अनुकूल भाषा है।
प्रदेश में आठवीं कक्षा तक इसे अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाता है। प्रश्नकाल के बाद सीएम जयराम ठाकुर ने इस संशोधन विधेयक को सदन के पटल पर रखा। इसे आगामी दिनों में पारित किया जाना है। इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि संस्कृत अधिकतर भारतीय भाषाओं का मूल है।
भारत में आम जनता और बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से संस्कृत के व्यापक प्रयोग का इतिहास साक्षी रहा है। इसके व्याकरण में वैज्ञानिक शुद्धता है, इसलिए कई भारतीय भाषाएं इसी से उत्पन्न हुई हैं। यहां तक कि आज भी संस्कृत कंप्यूटरीकरण में सुगम और अनुकूल है।
आठवीं कक्षा तक संस्कृत एक अनिवार्य विषय
विभिन्न प्राचीन शास्त्रों, विज्ञानों, साहित्य रस विधा, रूपक-नाटकों, गणित, आयुर्विज्ञान, योग आदि में प्रतिष्ठापित हमारी सांस्कृतिक विरासत को पढ़ने के लिए भी यह उपयोगी साधन है।
सभी सरकारी पाठशालाओं में आठवीं कक्षा तक संस्कृत एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। राज्य में सरकार संस्कृत के प्रयोग में वृद्धि करने का आशय रखती है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 345 के उपबंध के अधीन किसी भी राज्य की विधानसभा संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्शाई गई किसी भी भाषा को अपनी राजभाषा के रूप में तय कर सकती है।
प्रदेश में हिंदी पहली राजभाषा है। इस विधेयक के पारित होने के बाद जैसे ही यह कानून का रूप ले लेती है तो संस्कृत हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजभाषा हो जाएगी।