पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान तिलक राज को पत्नी सावित्री ने उसी दुल्हन के जोड़े में अंतिम विदाई दी जिसे पहनकर वह पहली बार अपने ससुराल आई थीं। सावित्री की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
इस गमगीन माहौल को देखकर हर किसी की आंखें छलक गईं। साथ ही पाकिस्तान की इस करतूत का करारा जवाब देने का आक्रोश भी था। जानिए क्यों पहना जाता है शादी का जोड़ा…
इतिहासकार प्रेम सागर ने बताया कि पति-पत्नी जब शादी की रस्में निभाते हैं तो एक रस्म यह भी होती है। इस रस्म में पत्नी कहती है कि मैं सदा सुहागिन रहूंगी। प्रेम सागर ने बताया कि इसका मतलब यह है कि वह पति से पहले इस दुनिया को अलविदा कहेगी।
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प्रेम सागर ने बताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ यानी किसी भी वजह से पति की मौत पहले हो गई तो वह अपने पति को उसी दुल्हन के जोड़े को पहनकर विदा करेगी जो उसने शादी में पहना है। शहीद तिलक राज की पत्नी सावित्री ने भी इस परंपरा को निभाया है।
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हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी अतुल कुमार ने बताया कि ये परंपरा काफी समय से चली आ रही है जिसे लोग खासकर गांवों में बहुत ही अच्छे तरीके से निभा रहे हैं। हमारे समाज में ये शादी की रस्में हैं जिन्हें हिमाचल के लोग जीवन के अंतिम क्षणों तक निभा रहे हैं।