बॉलीवुड कलाकार पूरे देश का भरपूर मनोरंजन करते हैं। इससे आगे छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ भी अपनी रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए बॉलीवुड सितारों का बढ़-चढ़कर उपयोग करती हैं। तो कुछ स्व-घोषित संस्कृति के रक्षक अपने प्रचार के लिए इन्हीं सितारों का खूब दुरूपयोग भी करते हैं। यदि बॉलीवुड के तक़रीबन नामचीन सितारों ने इस स्थिति का सामना किया है, ऐसा कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा।
पिछले कुछ समय से तो हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं। मामला चाहे जो भी हो यदि बॉलीवुड सितारे अपनी राय ज़ाहिर करते हैं, तो उन्हें धमकियों से लेकर देश छोड़ने की नसीहतें मिलती हैं। मामला इतना बढ़ जाता है (या बढ़ावा दिया जाता है ) कि सितारों द्वारा माफ़ी मांगने के बाद ही यह थमता है।
हालांकि अब ऐसा लगता है कि इस परंपरा के विनाश की शुरुआत हो चुकी है। ‘मणिकर्णिका’ फिल्म में ‘झांसी की रानी’ की भूमिका निभाने वाली कंगना ने इसकी शुरुआत की है। कंगना ने फिर एक बार अपनी बेबाकी का नायाब उदाहरण प्रस्तुत करते हुए एक मिसाल कायम की है।
पिछले साल ‘पद्मावत’ की रिलीज़ के समय तिल का पहाड़ बनाने वाली संस्कृति की स्वघोषित रक्षक करणी सेना के हाथ इस साल भी एक मौका लग ही गया। भारतीय संस्कृति के कथित ठेकेदारों ने फिर एक बार अपनी ठेकेदारी का राग अलापते हुए फिल्म के कुछ दृश्यों पर आपत्ति जताई और उन्हें फिल्म से हटाने के लिए कहा। लेकिन कंगना तो कंगना हैं.. शेरनी की तरह दहाड़ते हुए कंगना ने करणी सेना को तहस-नहस करने का एलान कर दिया।
करणी सेना को कंगना की बेबाकी का अंदाज़ा तो होगा, लेकिन वो इतना करारा जवाब देंगी इसकी उम्मीद उन्हें कतई नहीं होगी। करणी सेना को ऐसा जवाब आज तक किसी ने नहीं दिया था। लेकिन बहुत कुछ पहली बार होता है। कंगना की दहाड़ से बौखलाई सेना ने आनन-फानन कंगना से माफ़ी मांगने का फतवा जारी किया। यानी कि करणी सेना की उम्मीदें अब भी बरकरार थीं।
लेकिन कंगना भला कब ऐसी बातों से सहमी हैं, जो अब डरेंगी। पीछे हटने की बजाए कंगना ने खुलेआम करणी सेना को ललकारते हुए कहा, “मैं किसी से माफ़ी नहीं मांगूगी। माफ़ी मैं कभी किसी चीज़ के लिए नहीं मांगती। मेरी कोई गलती है नहीं। मणिकर्णिका मेरी रिश्तेदार नहीं बल्कि पूरे देश की बेटी है। इसलिए करणी सेना को भी सहयोग करना चाहिए। ये फ़ालतू का इगो इशू मेरे साथ करने की ज़रूरत नहीं है, मैं यहाँ किसी को सॉरी-वॉरी कहने के लिए नहीं आई हूँ।”
खैर, संस्कृति के कथित रक्षक भी कहां बाज़ आएंगे। उन्होंने ‘मणिकर्णिका’ के निर्माता को निशाना बनाते हुए रिलीज़ से पहले उन्हें फिल्म दिखाने की मांग की है। अब अगर फिल्म निर्माता भी ‘झाँसी की रानी’ की तरह “हमारी फिल्म नहीं दिखाएंगे” कह दें, तो यह क्रांति की अनूठी की शुरुआत होगी और भविष्य में कंगना ‘बॉलीवुड की रानी लक्ष्मीबाई’ कहलाएंगी। कंगना की दिलेरी को सलाम और ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी’ के लिए शुभकामनाएं।