पूर्व कांग्रेस मंत्री और राज्य के पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष विजई सिंह मनकोटिया ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने कांगड़ा क्षेत्र के साथ भेदभाव किया है। मनकोटिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि कांगड़ा जिले में हर परियोजना दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक उछाल के कारण सुस्त रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिले को वर्ष 2010 में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश (सीयूएचपी) परियोजना मिली थी। इस विश्वविद्यालय को स्थापित हुए 10 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी भी इसका स्थायी परिसर नहीं है। कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच टकराव से इस परियोजना में देरी हुई है। यह विडंबना ही थी कि परियोजना की आधारशिला भी रखी जानी बाकी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांगड़ा के निवासियों को राज्य के दूसरे श्रेणी के नागरिकों के लिए घटा दिया गया है। कांगड़ा जिले को राज्य में लगातार सरकारों से भेदभाव का सामना करना पड़ा है और यह अभी भी जारी है। इस क्षेत्र में इस तथ्य के बावजूद भेदभाव किया गया है कि इसने देश के लिए शहीद पैदा किए थे।
मनकोटिया ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार को कांगड़ा के लोगों को यह बताना चाहिए कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी का दर्जा क्यों नहीं दिया गया। अगर पिछली कांग्रेस सरकार ने धर्मशाला को राज्य की दूसरी राजधानी घोषित करने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी, तो वर्तमान सरकार अधिसूचना को लागू करने से क्यों कतरा रही थी, उन्होंने कहा। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कांगड़ा जिले में राज्य में सबसे अधिक बेरोजगारी थी और सरकार कुछ भी नहीं कर रही थी।