पीजी को 5, सुपरस्पेशियलिटी के लिए 15 लाख एफडी देनी होगी,कैबिनेट ने बांड मनी 40 और 60 लाख ही रखने का फैसला लिया, सीएम जयराम बोले, राज्य से भागने की आदत को रोकना होगा
Doctors Must Fill the Bonds On Bank Guarantee Reduction: CM
जयराम सरकार ने राज्य में डॉक्टरों पर लागू बैंक गारंटी की राशि कम कर दी है। पीजी डिग्री और डिप्लोमा के लिए अब 10 के बजाय 5 लाख की ही एफडी देनी होगी। सुपरस्पेशिलिटी के लिए ये राशि 15 लाख होगी। हालांकि पीजी या डिप्लोमा के लिए बांड मनी 40 लाख और सुपरस्पेशिलिटी के लिए 60 लाख रहेगा।
विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सवाल के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यह जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान दी। माकपा विधायक राकेश सिंघा के अनुपूरक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कोटे और स्पांसरशिप से पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों पर ये बंदिश लगाना जरूरी है, ताकि ये राज्य में ही सेवाएं दें। ऐसा न करेंगे तो यहां डॉक्टरों की जरूरत पूरी नहीं होगी। चूंकि बांड मनी को जमा करवाने के लिए डॉक्टरों को परेशानी आ रही थी, इस कारण इस राशि को कम किया गया है।
बांड की प्रक्रिया भी सरल की है। अब एक पोस्ट डेटिड चेक भी लेंगे। ताकि और लंबी प्रक्रिया से निजात मिल जाए। जरूरी सेवाकाल की अवधि को भी कम किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने पूर्व के अनुभवों को देखते हुए यह फैसला लिया है। मंगलवार शाम को हुई कैबिनेट बैठक में स्वास्थ्य विभाग की ओर से रखे गए तथ्यों के अनुसार एक डॉक्टर की पढ़ाई पर सरकार करीब 40 लाख रुपये खर्च कर रही है। लेकिन राज्य से प्रायोजित होने के बाद डिग्री या सुपरस्पेशिलिटी करने वाले डॉक्टर राज्य से बाहर भाग रहे हैं।
2016 से 2018 के बीच 149 डॉक्टर भागे
कैबिनेट में रखे गए तथ्यों के 2016-17 से 2017-18 के बीच 149 डॉक्टर हिमाचल के कोटे से पढ़कर नौकरी के लिए बाहर भागे। ये सभी आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेजों में पढ़े हैं। ऐसा करने की सूरत में सरकार इनके द्वारा भरे गए बांड को रिकवर कर सकती है। अब तक राज्य की स्पांसरशिप पर पढ़े 5 डॉक्टरों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है और एक बिना छुट्टी लिए चला गया है।