घुमारवीं : सफलता के साथ-साथ असफलता की भी आदत होनी चाहिए, क्योंकि असफलता में ही सफलता का राज छिपा हुआ है। अगर इसे दूसरे शब्दों में कहें तो असफलता ही सफलता की सीढ़ी है। यह बात संस्कार सोसायटी की ओर से घुमारवीं में आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डा. राजेश्वर चंदेल कुलपति डा. वाईएस परमार बागवानी एवं तकनीकी विश्वविद्यालय ने कही। उन्होंने कहा कि विदेश और भारत में यही अंतर है कि वहां पर पढ़ाई के बाद नौकरी और फिर खाओ और मौज करो लेकिन भारत में सिखाया जाता है सर्वे भवंतु सुखिन: अर्थात पूरा देश सुखी रहे हमें इसको ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बच्चे अच्छे अंक लेकर आज यहां पहुंचे हैं वह समाज में प्रतिभा के रूप में निकलते हैं वही आगे मार्गदर्शक होते हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रजनीश गौतम सेक्रेटरी गौतम ग्रुप ऑफ कालेजेस हमीरपुर ने कहा कि हमें निरंतर चलते रहना है, कभी रुकना नहीं चाहिए, चाहे कोई भी मुसीबत आए। संस्था के संस्थापक महेंद्र धर्माणी ने कहा कि हमें पढ़ाई के साथ-साथ ईमानदारी से काम करना, देशभक्त बनना, यह इच्छा शक्ति हम सबके अंदर होनी चाहिए।
94 विद्यार्थी व 13 विशेष कार्य करने वालों का सम्मान
संस्था ने घुमारवीं के 94 होनहार विद्यार्थियों और 13 लोगों को कृषि, सेरीकल्चर, आयुर्वेद, शिक्षा, पत्रकारिता, इंटरप्रेन्योरशिप व अन्य क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम में पट्टा पंचायत के उपप्रधान मनोज कुमार भंडारी, अमृत लाल कतना, बांकेबिहारी चंदेल, राजेश ठाकुर, सुनील शर्मा, रामस्वरूप शमा, प्रवीण, देवदत्त शर्मा, दलेल, रामपाल, बाबूलाल धर्माणी, संदीप धर्माणी, डा, पुष्पराज, राजेश शमा, सतीश मेहता आदि उपस्थित रहे।